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शनिवार, 8 सितंबर 2012

परिचय - रश्मि प्रभा


परिचय क्या है ?
एक अदद नाम ,
जिसके हों मायने
और जीवन में हो कुछ प्राप्य ....
नाम - रश्मि प्रभा ,
प्रसाद कुटी की सबसे छोटी बेटी ,
नाम दिया कवि पन्त ने अकस्मात्
फिर ये बात हो गई ख़ास .
शब्द भाव
मिले विरासत में
और संस्कार ...
संस्कारों की पेटी में जितने भी दस्तावेज थे ,
उनके लाभ थे तो कई घाटे भी थे .
खुद जिन्होंने दस्तावेज तैयार किये थे
उनको बस यह सुकून मिला
कि उन्होंने निकृष्ट शब्दों का प्रयोग नहीं किया ,
और अपनी ख़ामोशी लिए कमल का अस्तित्व बताते गए
बनते गए ....
दिल का दौरा जब पड़ा तब कहा - सांस नहीं ले पा रहे .
हमने कहा - कोशिश .....
वाक्य अधूरे स्तब्ध रह गए जब सुना -
" कितनी कोशिश ?
अब नहीं ..... !!! "
संस्कारों की सहनशक्ति का मुआयना जब डॉ ने किया
तो कहा - शरीर का कोई पार्ट काम नहीं कर रहा
साँसें चल रही हैं ... बस !
अंतर्द्वंद के सागर में संस्कारों का डूबना उतराना लगा रहा
तीखे शब्द
गंदे संस्कारहीन शब्द
झूठे शब्द
संदेहास्पद शब्द
संभावित सोच के शब्द
भंवर की तरह घेरा बनाते गए
पर बचपन में मिले सबक दिल से नहीं गए !
विरोध चलता रहा अन्दर
पर कमल की ज़िन्दगी पर
ऐतबार भी बना रहा .
सोचा - मरना तो है ही
तो इन दस्तावेजों के संग ही क्यूँ नहीं ...
विरासत तो विरासत होती है
उसे कैसे गँवा दूँ .
संभालकर रखा है इसे .....
अपने बच्चों को एक एक पृष्ठ सुनाती रही हूँ
प्राप्य अप्राप्य की कहानियों के बीच
वे गुलाब बनना चाहते हैं
ताकि काँटों की सुरक्षा से
उनका आंतरिक सौंदर्य सुरक्षित रहे .
कई बार कुछ हाथ बढ़े हैं
कुछ लोगों ने बेरहमी से तोड़ने की कोशिश भी की
...... और लहुलुहान होते शोर मचाया ....
तब याद आई दिनकर की ये पंक्तियाँ -
" क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो,
उसका क्या जो दंतहीन, विषहीन, विनीत सरल हो..."
ज्ञान स्मृतियाँ बहुत कुछ दे जाती हैं
मन कहता है -
"न पड़ता दिखाई यदि हो किनारा
अगर हो गई आज प्रतिकूल धारा
क्षुधित व्याघ्र सा क्षुब्ध सागर गरजता
अगर अंध तूफ़ान करताल बजता
अरे शोक मत कर समझ भाग्य जागे ..."(आरसी प्रसाद सिंह)

.................... परिचय -
एक नाम से बढ़कर जीवन अनुभव होता है .
एक ही नाम तो कितनों के होते हैं
नाम की सार्थकता सकारात्मक जीवन के मनोबल से होती है
हवाओं का रूख जो बदले सार्थक परिणाम के लिए
असली परिचय वही होता है ...
पर मांगते हैं सब सांसारिक परिचय
तो यह है एक छोटा सा परिचय मेरा आपके बीच -

जन्म तिथि - 13 फरवरी , 1958
जन्म स्थान - सीतामढ़ी
शिक्षा- स्नातक (इतिहास प्रतिष्ठा)
भाषाज्ञान-हिंदी,अंग्रेजी
पारिवारिक परिचय
माँ - श्रीमती सरस्वती प्रसाद (कवि पन्त की मानस पुत्री)
पिता - स्वर्गीय रामचंद्र प्रसाद
प्रकाशित कृतियाँ
काव्य-संग्रह: शब्दों का रिश्ता (2010), अनुत्तरित (2011), महाभिनिष्क्रमण से निर्वाण तक (2012), खुद की तलाश (2012) चैतन्य (2013)मेरा आत्मचिंतन (2012), एक पल (2012) ...
संपादन:अनमोल संचयन (2010), अनुगूँज (2011), परिक्रमा (2011), एक साँस मेरी (2012), खामोश, खामोशी और हम (2012), बालार्क (2013)एक थी तरु (2014)
वटवृक्ष (साहित्यिक त्रैमासिक एवं दैनिक वेब पत्रिका)-2011 से 2012
ऑडियो-वीडियो संग्रह:कुछ उनके नाम (अमृता प्रीतम-इमरोज के नाम)
सम्मान: परिकल्पना ब्लॉगोत्सव द्वारा वर्ष 2010 की सर्वश्रेष्ठ कवयित्री का सम्मान।
पत्रिका ‘द संडे इंडियन’ द्वारा तैयार हिंदी की 111 लेखिकाओं की सूची में नाम शामिल।
परिकल्पना ब्लॉगर दशक सम्मान - 2003-2012
शमशेर जन्मशती काव्य-सम्मान - 2011
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी कविता प्रतियोगिता 2013 भौगोलिक क्षेत्र 5 भारत - प्रथम स्थान प्राप्त 
भोजपुरी फीचर फिल्म साई मोरे बाबा की कहानीकार, गीतकार
ई-मेल rasprabha@gmail.com
संपर्क - 9371022446

19 टिप्‍पणियां:

  1. सूर्य की रश्मियों की प्रभा जो सारे जग को तो आलोकित कर ही जाती हैं उनके आलोक के साथ अँधेरे में गुम और बहुत सी वस्तुएँ, बहुत से लोग भी प्रगट हो जाते हैं ! आपकी प्रभा भी वैसी ही है रश्मिप्रभा जी ! आपके बारे में इतना आत्मीय परिचय पढ़ कर बहुत प्रसन्नता हुई ! आपको बहुत सारी बधाइयाँ तथा शुभकामनायें !

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  2. खूबसूरत अन्दाज़ है परिचय का

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  3. apne naam ko sarthak banana jeewan ka mukhya uddeshya hota hai, aur aap ye bhali bhati karti aa rahi hain.. badhai.. sundar parichay

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  4. परिचय तो है रश्मि जी से पर इतना कुछ जानना और भी अच्छा लगा ...

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  5. एक नाम से बढ़कर जीवन अनुभव होता है .
    एक ही नाम तो कितनों के होते हैं
    नाम की सार्थकता सकारात्मक जीवन के मनोबल से होती है
    हवाओं का रूख जो बदले सार्थक परिणाम के लिए
    असली परिचय वही होता है ...
    बेहद सशक्‍त परिचय बिल्‍कुल आपकी लेखनी की तरह ... एक नया अंदाज़ .. अच्‍छा लगा

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  6. बहुत सुंदर परिचय ...आप तो वैसे भी परिचय की मोहताज नहीं

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  7. सब कुछ खुबसूरत....परिचय भी ...अंदाज़ भी ....:)))))))))))))))))

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  8. परिचय उनका होता है जो अपरिचित होते हैं...
    सूर्य से परिचय की आवश्यकता है क्या?ः)
    बहुत अच्छा लगा पढ़कर !!

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  9. खुबसूरत अंदाज मे खुबसूरत ही परिचय..बहुत अच्छा लगा...

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  10. जब से आप से संपर्क हुआ, संदेशो के माध्यम से मुझे लगता है कि
    आपका परिचय किसी का मोहताज नहीं,
    आपके द्वारा रचित रचनाएँ व लेख ही
    काफी हैं आपका परिचय बताने के लिए,
    जो एक कवि/लेखक को कालजयी
    बनाने के लिए जरूरी होते हैं। आपके शब्द और विचार आपके साथ सदा बने रहे इसी आशा के साथ शुभकामनायें।

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  11. प्रिय रश्मि जी,
    मेरे परम प्रिय पंत जी का चुना ये नामकरण
    सफ़ल हुआ है , और हम आपकी प्रतिभाओं से परिचित
    हो रहे है ये हमारा सौभाग्य है।
    प्रभु से प्रार्थना है आप उत्तरोत्तर सफ़ल होती रहें
    और हमें आपका सानिध्य मिलता रहे ॥......अचल

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  12. एक ही नाम तो कितनों के होते हैं
    नाम की सार्थकता सकारात्मक जीवन के मनोबल से होती है
    हवाओं का रूख जो बदले सार्थक परिणाम के लिए
    असली परिचय वही होता है

    अपने नाम को सार्थक करती साहित्य जगत को सूर्य रश्मियों सा आलोकित करती आप आगत समय में दिनों दिन प्रकाश फैलाती रहें यही कामना ...और साथ ही "बालार्क" के सभी रचनाकार मित्रों को ढेरों बधाई ...

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  13. एक ही नाम तो कितनों के होते हैं
    नाम की सार्थकता सकारात्मक जीवन के मनोबल से होती है
    हवाओं का रूख जो बदले सार्थक परिणाम के लिए
    असली परिचय वही होता है

    अपने नाम को सार्थक करती ... साहित्य जगत को अपनी सूर्य रश्मियों से आलोकित करती आगत समय में अपना अमूल्य योगदान देती रहें यही कामना

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